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चले चल मस्त राही मन

चले चल मस्त राही मन
नहीं काम है घबराना।
जहाँ मिलती चुनौती हो
उसी पथ में चले जाना।
जहाँ हो प्रेम का डेरा
वहाँ थोड़ा सा सुस्ताना
जहाँ हरि भक्ति पाये तू
जरा उस ओर रम जाना।
न करना तू गलत कुछ भी
न कहना तू गलत कुछ भी
जहां संतोष सच्चा हो,
वहां डेरा जमा लेना।
न कोई डर न कोई भय
न दबना है न पिसना है,
अगर डरना है मेरे मन
तुझे ईश्वर से डरना चाहिए।

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