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चांदनी मेरे आंगन में

चाँद कि चांदनी को अपने आँगन में उतरने का ,

न्योता दे आऊं मै .

दरवाजा खोल कर खिड़कियाँ बंद कर दी है मैंने,

कहीं एसा ना हो दरवाजे से आकर ,

खिडकियों से निकल जाए वो,

और देखता रह जाऊं मै .

यहाँ देख कर अँधेरा कहीं वापस ना लोट जाए वो,

जरा तुम उधर नजर रखना तब तलक,

रौशनी के लिए चिराग जला लाऊं मै .

उफ़! चांदनी तो आ भी गई, और मै अभी तक तैयार नहीं,

अरे ठहरो जरा उसे रोको,

उसकी आरती के लिए दीप तो ले आऊं मै .

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