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चांद की गोद में

ये वादियां ये फिजाएं क्यों बुलाती हैं मुझे
जाने क्यों इतनी मोहब्बत जताती हैं मुझे।

इन फिजाओं में लिपटी हुई मोहब्बत है
मेरी दुआओं में फैला हुआ बस तेरा हक है।

वफा की राह में घायल हुई दीवानी हूँ।
इन पर्वतों में लिखी हुई कहानी हूँ।

चांद की गोद में लग रहा है मैं बैठी हूँ।
सितारों से मांग अपनी मैं सजा बैठी हूँ।

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