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चांद को बंद करके मुट्ठी में (यमक अलंकार से अलंकृत)

रात किसकी मोहब्बत में
भला सारी रात जगती है
उसे किससे मोहब्बत
जो ना पलकों को झपकती
चांद को बंद करके मुट्ठी में
पूँछ लूंगी आसमान से
रात क्या दिन से मिलने खातिर ही
सारी रात तड़पती है।।

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