चाय Bhargav Patel 7 years ago उषा की रश्मि जब घोलती है चाय में चुस्ती, शुरू करते है दिन हम अपना | लेकिन शाम आते-आते आन पड़ती है फिर एक चाय की जरुरत; घोली हो जिसमे संध्या ने कोई अलौकिकता हमारे तन में नये प्राण डालने के लिए | ~ Bhargav Patel (अनवरत)