वो जाते-जाते एक सबक सिखा गया
कि कोई किसी का नहीं होता
और कोई किसी के लिए नहीं रोता
चार दिन का मेला है ये जिन्दगी
ना कोई किसी के साथ जाता
ना कोई किसी का साथ है देता..
वो जाते-जाते एक सबक सिखा गया
कि कोई किसी का नहीं होता
और कोई किसी के लिए नहीं रोता
चार दिन का मेला है ये जिन्दगी
ना कोई किसी के साथ जाता
ना कोई किसी का साथ है देता..