Site icon Saavan

चाहता हूं जल बनूँ

चाहता हूं जल बनूँ
धो डालूँ सारे दाग-धब्बे
नीर बनकर प्यास लोगों की
बुझाऊँ, तृप्त कर दूं।
या बनूँ नैनों का जल
गीले करूँ वियोग के पल
या बहूँ मैं प्यार की सरिता
करूँ कल-कल व छल-छल।
या बदरिया बन के बरसूं
रिम-झिमा झम, झम-झमा झम
जैसे किसी प्रियसी की पायल
छम-छमा छम-छम छमा छम।
या किसी झरने के पानी सा
बनूँ मैं श्वेत निर्मल,
आप आओ जब नहाने
बिंदास कर दूं आपके पल।

Exit mobile version