Site icon Saavan

चिड़ियाघर

एक दिन गया मैं चिड़ियाघर,
एक भी जानवर न था वहां पर ।
यह देख मैं रह गया हैरान,
हर पिंजरे में था एक इंसान ।।

एक पिंजरे में लिखा था ‘ भेड़िया दुराचारी ‘
उसमें बंद था एक क्रूर बलात्कारी ।
अगले पिंजरे में लिखा था ‘ शेर खूंखार ‘
उसमें बंद था मासूमों का कातिल गुनहगार ।
अगले पिंजरे में लिखा था ‘ बंदर नकलची ‘
उसमें बंद था झूठा- मक्कार नेता लालची ।
अगले पिंजरे में लीखा था ‘ सियार रंगी ‘
उसमें बंद था एक ठगी बाबा ढोंगी ।
अगले पिंजरे में लिखा था ‘ गीदड़ भभकी ‘
उसमें बंद था एक शातिर आतंकी ।

हर पिंजरे में था एक कुख्यात गुनाहगार,
दो-चार नहीं जिन पर थे आरोप हजार ।

ऐसे इंसान क्या किसी जानवर से कम हैं?
इन्हें देख जानवर भी शर्माएंगे ।
जंगली जानवरों से डर ना होगा,
ऐसे इंसानी हैवानों के बीच खौफ खाएंगे ।

फिर से यह इंसानी जानवर हमारे बीच,
नए गुनाह करने को आजाद किए जाएंगे।
और बेगुनाह जानवरों को चिड़ियाघर में,
मनोरंजन के लिए कैद किए जाएंगे ।।

देवेश साखरे ‘देव’

Exit mobile version