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चुनिंदा लम्हें घूम गए आँखों में

चुनिंदा लम्हें घूम गए आँखों में
जो लिपटे न थे दर्द की चाश्नी में
कुछ तेरे साथ के वो पल
जो शिकवा से न लिपटे थे
कुछ तेरे साथ के वो पल
जो लिपटे थे खुश्बुओं से
कुछ तेरे साथ के वो पल
जिनमे पल साँझा रहते थे
कुछ तेरे साथ के वो पल
जिनमें कुछ भी आधा न था
कुछ तेरे साथ के वो पल
जिसमे कदम कदम से मिलते थे
कुछ तेरे साथ के वो पल
एहसास हमसे ज्यादा जिन्दा थे
कुछ तेरे साथ के वो पल
ख़ामोशी सब कुछ कह जाती थी
कुछ तेरे साथ के वो पल
आँखें देखने सी ज्यादा बोलती थी
कुछ तेरे साथ के वो पल
जिनमे सच सचमुच रहता था
कुछ तेरे साथ के वो पल
जिनकी फ़िज़ाएं गवाह थी
कुछ तेरे साथ के वो पल
जो अब भी महकते है ,फिर
चुनिंदा लम्हें घूम गए आँखों में
जो लिपटे न थे दर्द की चाश्नी में
राजेश’अरमान’

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