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चुभे जो तेरे शब्द तीर….

गला भरा है , दिल जला है, आँखों का सागर भरा है

चुभे जो तेेरे शब्द तीर , दिल का जख्म अब तक हरा है ।।

मान के बैठा तुझे मैं, दोस्ती का नाम दूजा,

मित्रता के इस मंदिर में मैने की थी तेरी ही पूजा

धूप में तेरी छाँव बना तो, काँटों में तेरा पाँव बना

महकाई बस्ती गुलाबों की , पर आज तेरे अल्फाजों का घाव बना

पराया हूँ तेरे लिए , सुन यार तेरा सौ बार मरा है

चुभे जो तेरे……

सुना लगा बैठी तू दिल किसी से,

 पर एक बात मुझे सताएगी

दोस्ती ही ना निभा पायी, तू प्यार कैसे निभाएगी

कमजोर बनाती आशिक़ी पगली ,

दोस्ती तो दिलों की ताकत है

पर मिले गर तुझे प्यार में धोखा , तेरे दोस्त का कन्धा सलामत है

देख सैलाब मेरी आँखों का, अब समंदर भी डरा है

चुभे जो तेरे….


 

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