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छोटी सोंच

तुम्हारी छोटी सोंच मुझे हैरान करती है
सदियों से मेरा अंदाज़ निराला है।
बस तुम जैसों के ही पेट में दर्द होती है।
चंद सिक्कों और ताज़ की जरूरत नहीं मुझको
शोहरत तो अभिषेक के कदमों में होती है।

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