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छोड़ों व्यर्थ की बात (गीत)

छोड़ो व्यर्थ की बाते अब हम राम का नाम लेते है ।
सारी दुनिया को भूलाके अब हम राम को याद करते है ।
छोड़ों व्यर्थ की बाते अब हम राम का गुणगान करते है।
जिनके गुणगान से मिलती सभी कष्टों का निवारण होता है ।।1।।

करता है जो नर प्रभु-वंदना, प्रभु उसका चित्त-शान्त करते है ।
जब भी विपदा पड़े सेवकों पे प्रभु सेवक के पास होते है ।
दीनों के नाथ दीनानाथ सबकी झोली भरते है ।
जो नर आये प्रभुधाम प्रभु उसका जन्म-उध्दार (घर-द्वार) करते है ।।2।।

सबकी सुनते प्रभु दुखड़ा उसे शाश्वत सुख प्रदान करते है ।
जिन्दगी जीने के नयी ढंग प्रभु सेवक को सीखलाते है ।
भौतिक जिन्दगी से मुख मोड़ने को प्रभु शिक्षा देते है ।
करते है जो नर प्रभु आराधना प्रभु उसका भवसागर पार करते है ।।3।।

जो नर करते दीनों पे दया, खिलाते भुखे को और देते नंगे को वस्त्र ।
ऐसे नर को प्रभु सर्वाधिक प्यार करते है, और प्रभु माया उसे विचलित नहीं करती है ।
कर जो नर दीन-दुःखी पे अत्याचार, सताये नारियों, सज्जनों व महात्मों को ।
प्रभु ऐसे दुर्जन-दुष्ट-आताताई नर को संहार करते है।।
और जगत में सत्यमेव-जयते का नारा देते है ।।4।।
कवि विकास कुमार

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