छोड़कर मेरे घर को जब जाने लगा बादल,
मुझसे मुँह मोड़ कर जब जाने लगा बादल,
रोका पर बारिश के संग वयस्त लगा बादल,
शायद धरती से मेरे गांव की रुष्ट लगा बादल,
जब देखकर हालात भी नहीं झुकता लगा बादल,
बनाकर फंदा रस्सी से मैने खींच लिया बादल।।
राही (अंजाना)