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जज़्बातो के तूफान

मेरे इन आँखों में प्यार की एक बूंद नहीं
कभी इन में प्रेम का समन्दर उमङा था
खुद पर पछतावा करें
या खामोशी से भूल स्वीकार करें
इसी जद्दोजहद में,
मन में उमङते जज़्बातो के तूफा में
चीखती खामोशी पसरा था

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