Site icon Saavan

जन्म जन्मांतर के रिश्ते

जीवन में मिले थे लोग बहुत,

कुछ छूट गए कुछ साथ चले।

कुछ से अद्भुत सा रिश्ता मिला,

कुछ ने अनसुलझे एहसास दिये।

कैसा आत्मीयता का बंधन था,

शायद पिछले जन्म का चंदन था।

जो महकता रहा महकाता रहा,

जिंदगी गुले- गुलजार बनाता रहा।

निमिषा सिंघल

Exit mobile version