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जबसे दारू बंद भेलैय विहार मे।

पटना, छपरा दरभंगा तक सुख गया दाऱू का प्याला,
हाजीपुर के पुल पर केले अब बेच रही मधुशाला।
महफिल भी रूठ ग़यी ,
और नाच खत्म नागिन वाला।
शांत– शांत अब लगे बराती—–
जैसे लग रहा मर गया पड़ोसी वाली।।
कैसे पिये दौ सौ का पव्वा मिलता चालीस वाला,
बेगुसराय मे बस पकड़ कर बाहर को जाता पीने वाला।
अब झारखंड ,युपी मे बुझती दिल की ज्वाला।

ज्योति
मो न० 9123155481

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