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जब बन जाता है हमारा याराना

इक वक्त, इक रब्त जुड़ा था,   [रब्त = Relation]

वक्त गुजर गया, रब्त रह गया

कुछ लम्हो की दास्ता बनकर ये याराना

पक्के अल्फ़ाजों में ज़हन में छप गया

कुछ पल अजीज है बहुत,

कुछ लोग अजीज है

दूर हो कितने भी

अरसा गुजर जाने के बाद भी

करीब लगते है, अपने लगते है

जिंदगी इनके होने से ही

अपनी लगती है,

मुकम्मल लगती है, जिंदगी की दास्ता  [मुकम्मल  = Complete]

जब रब्त जुड़ता है

जब बन जाता है हमारा याराना

Happy B’day Bhaiji 🙂


 

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