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जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम

jay shri ram
जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम
और क्यूँ किसी का बेड़ा पार लगाते हो राम
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जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम ।।1।।
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ये खेल है कैसा तेरा राम
कब-तक खेलोगे खूद के साथ राम
तुम्हीं हारते, तुम्हीं जीतते हो राम
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जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम ।।2।।
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माया तुम हो, मायापति भी तुम हो
सृष्टि तुम हो, ब्रह्माण्ड भी तुम हो
कुछ भी तुम्ह हो, कुछ भी तुम्ह जो ना हो
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जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम ।।3।।
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कवि विकास कुमार

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