हिम को भी पिघलते देखा है,
सूर्य की तपिश पा कर के।
नदियों को जमते देखा है,
चन्द्र की शीतलता पा के।
ऑंख के ऑंसू भी ठहरे,
जब साथ किसी अपने का पाया।
बेचैनी में चैन का एक पल
मन में एक सुकूँ सा लाया॥
_____✍गीता
जब साथ किसी अपने का पाया..

हिम को भी पिघलते देखा है,
सूर्य की तपिश पा कर के।
नदियों को जमते देखा है,
चन्द्र की शीतलता पा के।
ऑंख के ऑंसू भी ठहरे,
जब साथ किसी अपने का पाया।
बेचैनी में चैन का एक पल
मन में एक सुकूँ सा लाया॥
_____✍गीता