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जब ही जीवन है

कविता
जल ही जीवन है

मेघा रे मेघा रे जल बरसा दे ।
पतझर जीवन खुशहाल बना दे।।
गर जल नहीं तो यह संसार नहीं।
एक बार धरती पर अमृत बरसा दे।।
चारो तरफ है प्यास ही प्यास ।
अपनी धारा से धरती की प्यास बुझा दे।।
जल नहीं तो माटी में बल नहीं।
जल बल से हमारी तकदीर बना दे।।
बड़ी उम्मीद से सिंचा अपनी तकदीर को।
हमारी मेहनत में नया रंग भर दे।।
कहाँ गए वो रिमझिम के फुहार।
अब की बरस खेतो में हरियाली भर दे।।

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