सहारा चाँद को भी एक दिन लगाने चल दिया,
कुछ समझ आया नहीं बस समाझाने चल दिया,
मैं ज़मी पर रहा और आसमाँ झुकाने चल दिया,
उम्मीदों का रुका हुआ जहाज उड़ाने चल दिया।।
राही अंजाना
सहारा चाँद को भी एक दिन लगाने चल दिया,
कुछ समझ आया नहीं बस समाझाने चल दिया,
मैं ज़मी पर रहा और आसमाँ झुकाने चल दिया,
उम्मीदों का रुका हुआ जहाज उड़ाने चल दिया।।
राही अंजाना