जहाज राही अंजाना 4 years ago सहारा चाँद को भी एक दिन लगाने चल दिया, कुछ समझ आया नहीं बस समाझाने चल दिया, मैं ज़मी पर रहा और आसमाँ झुकाने चल दिया, उम्मीदों का रुका हुआ जहाज उड़ाने चल दिया।। राही अंजाना