दर्द देना गर फितरत है तेरी ,
अपनीयत का तुम गला दबा दो
चाहें जितने भी फिर ज़ख्म दिला दो,
अपनीयत के दर्द से मुझे बचा दो
…… यूई
दर्द देना गर फितरत है तेरी ,
अपनीयत का तुम गला दबा दो
चाहें जितने भी फिर ज़ख्म दिला दो,
अपनीयत के दर्द से मुझे बचा दो
…… यूई