ज़िन्दगी इतनी भी आसान नहीं,
हर कदम मुश्किलों से लड़ना है,
तो कभी हँस कर आगे बढ़ना है।।
ज़िन्दगी एक जंग से कम नहीं,
ख़ुद से, कभी गम से झगड़ना है,
जीत अपने दम पर ख़ुद गढ़ना है।।
यह जैसे सांप सीढ़ी का खेल है,
कभी सांप का जहर सहना है,
तो कभी सीढ़ी भी तो चढ़ना है।।
उतार चढ़ाव का नाम है जिंदगी,
कभी गहरी खाई में उतरना है,
तो कभी बुलंदी पर भी चढ़ना है।।
गुमराह करते हैं, लोग यहाँ पर,
तलवार नहीं, क़लम पकड़ना है,
अज्ञानता मिटाने के लिए पढ़ना है।।
देवेश साखरे ‘देव’