तेरी परछाई को देख लेता हूँ
चेहरे को देखने का मौका कहाँ मिलता।
ज़िन्दगी के इस खेल में
दौड़-दौड़ दौड़ लेता हूँ चौका कहाँ मिलता।।
तेरी परछाई को देख लेता हूँ
चेहरे को देखने का मौका कहाँ मिलता।
ज़िन्दगी के इस खेल में
दौड़-दौड़ दौड़ लेता हूँ चौका कहाँ मिलता।।