ज़िन्दगी से आज मेरी, हो गई कुछ अनबन।
हमेशा अपनी कहती, कभी मेरी भी तो सून।
ना ही दौलत मांगा, ना ही चाही शोहरत कभी,
क्या मांगा तुझसे, बस पल दो पल का सुकून।
कर लो सितम मुझ पर, जितना तेरे हद में है,
ना हारा कभी मैं, ना ही हारने देगा मेरा जुनून।
तुने अकेला कर दिया, फिर भी ना कोई गिला,
मेरे चाहने वालों पर है, तुझसे ज्यादा यकीन।
देवेश साखरे ‘देव’