हैं वह मर्यादा का नाम
जिन्हें सब कहते हैं श्रीराम,
पुरुषोत्तम, आदर्श संस्थापक,
न्यायप्रिय श्रीराम।
जन्म हुआ दशरथ जी के घर
अयोध्या जैसा धाम,
अपमानित थी मात अहिल्या
उन्हें दिया सम्मान।
लांछन से पत्थर बन बैठी
उन्हें दी नव पहचान,
हैं वह मर्यादा का नाम
जिन्हें सब कहते हैं श्रीराम।
खर-दूषण, ताड़िका आदि के
धर्म विरोधी काम
फैले थे सब तरफ भूमि में
उन्हें रौंधते राम,
चारों तरफ हुई धर्मजय
जय जय जय श्रीराम।
है वह मर्यादा का नाम
जिन्हें कहते हैं श्रीराम।
रावण तानाशाह बना था
मनमानी थी उसकी
धर्म कार्य बाधक था वह
चलती थी बस उसकी।
मातृशक्ति और ऋषि मुनियों का
करता था अपमान।
खुद वन जाकर किया राम ने
रावण पर संधान,
मार के रावण विजय धर्म को
देते हैं श्रीराम।
हैं वह मर्यादा का नाम
जिन्हें सब कहते हैं श्रीराम,
पुरुषोत्तम, आदर्श संस्थापक,
न्यायप्रिय श्रीराम।