जिसको देख, डर गया कोई
उससे इश्क, कर गया कोई
वो ग़मज़दा, हो के बैठे थे
उसका ग़म भी, हर गया कोई
लोग जिससे, किनारा करते थे
आज उसपे, मर गया कोई
शुक्र कीजे के, हिज्र के बाद
लौटकर के, घर गया कोई
आज मै में, डूब करके भी
अपने पैरो, पर गया कोई
जिसको देख, डर गया कोई
उससे इश्क, कर गया कोई
वो ग़मज़दा, हो के बैठे थे
उसका ग़म भी, हर गया कोई
लोग जिससे, किनारा करते थे
आज उसपे, मर गया कोई
शुक्र कीजे के, हिज्र के बाद
लौटकर के, घर गया कोई
आज मै में, डूब करके भी
अपने पैरो, पर गया कोई