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जीवन कि कड़वी पुड़िया

जीवन की कडवी पुडिया

जीवन की कडवी पुडिया
सुबह शाम हथेली पर
रूखे – रूखे मन से
कडवी पुडिया खुलती है ।

कभी दुध के साथ कभी पानी के साथ
इसको निगलना पडता है
जिन्दगी की इस पुडिया को
सुबह शाम लेना पडता है ।

दुख दर्द की इस कहानी को
पुडिया मे छिपानी पडती है
सेहत के खजाने के लिए
कडवी पुडिया लेनी पडती है ।

भूल ना हो जाए खाने में
नही तो स्वास्थ्य बिगड जायेगा
जिन्दगी की कडवी पुडिया
कही हमसे दूर ना हो जाए।

तिखी सी कडवी लगती है
जिन्दगी की कडवी पुडिया
स्वस्थ रहो स्वच्छ रखो इस समाज को
जीवन की कडवी पुडिया से मुक्त हो जाओगे।

महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864

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