जीवन की सत्यता में झांक कर अपने फर्ज को अदा करना सीखा है।
गिरे तो कई बार पर गिर कर उठना भी सीखा है।
यूं तो हम खड़े रहते हैं अपने फैसलों पर,
पर कभी-कभी अपनों की खुशियों की खातिर
अपने फैसले को बदलना भी सीखा है।
जीवन की सत्यता में झांक कर अपने फर्ज को अदा करना सीखा है।
गिरे तो कई बार पर गिर कर उठना भी सीखा है।
यूं तो हम खड़े रहते हैं अपने फैसलों पर,
पर कभी-कभी अपनों की खुशियों की खातिर
अपने फैसले को बदलना भी सीखा है।