जीवन बहुत कठिन है गरीबो का
आगे बढ़ना मुश्किल है शरीफों का
सीखना जरुरी है जीवन के सलीखो का
डटकर खंडन करती हूँ बेईमान तरीको का.
सिर्फ मांगने से हक मिलता कभी ना
पैसे के आगे सस्ता है बहुत पसीना
आभारी हूँ मै अपनी माँ की जिसने
सिखाया मुझे ये जीवन संघर्ष से जीना.
गरीबी के साथ कैसे है जीना
तुमने मुझे बचपन मे ही सीखा दिया
न्याय के लिए आवाज उठाओ
इस सोच ने बाग़ी मुझे बना दिया.
सवाल करती हूँ खुद से और सबसे
मेरा भी रास्ता वही, तुम्हारा जहाँ है
तुम्हे तो मिला इन रास्तो मे सब कुछ ही
पर मुझे तो मिला मेरा हक भी कहाँ है?
मै बुराई से लड़ रही
दुनिया की सीख पढ़ रही
धकेलते पीछे मुझे बार बार
फिर भी मै आगे बढ़ रही.
✍️✍️✍️✍️नीतू कंडेरा✍️✍️✍️✍️✍️