जोगन बनके भटक रही है
एक यौवन की मारी है
तेरे मंदिर में नाच रही है
वो महलों की नारी है
मीरा नाम है पीड़ा पुकारे
उसे नगर के वासी हैं
काली कमली ओढ़ के आजा
दर्शन की अभिलाषा है
महलों की मर्यादा लागी
फिर भी तुझे गरूर रहे
त्याग सिंगार वन माला पहने
कुल हंता राणा कुरूर कहे
तेरे मंदिर के खुलने से
पहले तेरे मंदिर में आती है
नाम तो तेरा लेती कभी ना
तुझको पति बताती है
भूख प्यास उसको नहीं लगती
भक्ति रस में चूर रहे
मीरा मोहन एक राशि
फिर तुम मोहन क्यों दूर रहे