जो भी मिली रातें ग़ज़ब रोशन
वो बेहया सब बेनक़ाब निकली
उजलें इमलों में है ख़ुशी मतलबी
ख़ामोश वफ़ाई बेचिराग निकली
कोई जुदा हुई तोडा दम किसीने
हर आरज़ू कमनसीब निकली
लगी मेहंदी वो हाथों की लकीरों को
आँखों से ख़ुशी बेहिसाब निकली
बन के आशिक़ भरी ज़ेबों को मिले
बाजारेग़म की अर्थी तन्हा निकली