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जो हो गयी है बंजर जमीन

जो हो गयी है बंजर जमीन, जमाने कि दिल की
तू कुछ अश्क बहाकर इसे नम कर दे||

हो गया हो अगर सूना तेरे मन का आंगन
इक पक्षी को रखकर इसमें कलरव भर दे||

मैं नही हूं तेरे करीब ये न सोच कभी
मेरी यादों को तो अपने दिल में घर कर दे||

अजीब सा है मगर, रिश्ता तो है तेरे मेरे दरम्या
आज इस रिश्ते को हम चलो अमर कर दे||

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