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ज्ञान का पहला मार्ग

अज्ञानता ही ज्ञान का पहला मार्ग है l

अज्ञानता से हीन भाव रखना, अपने आप में मूर्खता है l

अल्प ज्ञान भी ज्ञान  है, जब तक अहम का वास नहीं है l

महाज्ञानी भी अज्ञानी है, जब शब्दों में अहम झलकता है l

ज्ञान में जब अहम का प्रभाव हो, तो वह अज्ञानी ही कहलाता है l

अज्ञानी अहम खोकर ज्ञानी बनता,अज्ञान तप कर ज्ञान बनता l

शब्दों में समाहित उद्देश्य, ज्ञानी को परिभाषित करता l

घिसी-पिटी ज्ञान भी ज्ञान होता है,ज्ञान का भाव अगर नेक होता l

शब्दों के भाव का आंकलन कैसा है, ज्ञानी के ज्ञान को बताता  l

त्रुटियां निकालना ज्ञानी नहीं,ज्ञानवर्धक भाव ढूंढ लेता वे ज्ञानी हैl

शब्द अगर पीड़ादायक है, भाव प्रेरणादायक तो वो ज्ञान है l

                  अज्ञानता ही ज्ञान का पहला मार्ग है l
                           
                                                               Rajiv Mahali

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