Site icon Saavan

जख़्म दे रहे है,दवा देने वाले।

जख़्म दे रहे है ,दवा देने वाले।
गुनाह कर रहे है,सजा देने वाले।।
,
चिरागों की हस्ती,मिटती नहीं है।
सुन लो तुफानो को,पता देने वाले।।
,
अभी मैं हूँ तनहा ,कल क्या रहूँगा।
महफिल से अपनी,उठा देने वाले।।
,
मुझे मेरी मंजिल अब,दिखने लगी है।
कर दो निगाह मुझपे,हवा देने वाले।।
,
सदिया है गुजरी,न आहट है कोई।
कहाँ तुम छिपे हो ऐ,जुबा देने वाले।।
,
लफ्ज़ो को मेरे है ,सभी का सहारा ।
वरना भँवर थे कई,डुबा देने वाले।।
,
अभी तक थे साहिल,हम भी वहम में।
बहुत शुक्रिया मुझको,दगा देने वाले।।
@@@@RK@@@@

Exit mobile version