जज़बात आज फिर से उमरे है
कलम आज फिर बरसे है
फिर से इस नादान दिल को फिसलने का मौका मिला है
फिर से आँखों में उसका नूर दिखने लगा है
उम्मीद ना थी इस दिल को
की तुम मिल जाओगी
इस गहरी रात की
यू खुशनुमा सुबह हो जाएगी
जज़बात आज फिर से उमरे है
कलम आज फिर बरसे है
फिर से इस नादान दिल को फिसलने का मौका मिला है
फिर से आँखों में उसका नूर दिखने लगा है
उम्मीद ना थी इस दिल को
की तुम मिल जाओगी
इस गहरी रात की
यू खुशनुमा सुबह हो जाएगी