जज़बात Antariksha 5 years ago जज़बात आज फिर से उमरे है कलम आज फिर बरसे है फिर से इस नादान दिल को फिसलने का मौका मिला है फिर से आँखों में उसका नूर दिखने लगा है उम्मीद ना थी इस दिल को की तुम मिल जाओगी इस गहरी रात की यू खुशनुमा सुबह हो जाएगी