झूठ फरेब की कलंक से कलंकित होती मां,
कण्ड ज्ञान का भण्डार देकर खाती अब मात।
हिंद के सिपाही थाम लिए अंग्रेजी का हाथ,
दाग लगाकर सरस्वती पर मिट्ठू बनके गाते गान।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी
झूठ फरेब की कलंक से कलंकित होती मां,
कण्ड ज्ञान का भण्डार देकर खाती अब मात।
हिंद के सिपाही थाम लिए अंग्रेजी का हाथ,
दाग लगाकर सरस्वती पर मिट्ठू बनके गाते गान।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी