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झूला

चाँद पर लगाया है झूला देख न जल जाये कोई,
मुझे देखा देख कहीं घर से न निकल जाये कोई,

ये बादलों की चादर ये आसमानी घना अन्धेरा,
डर भी लगता है मुझको के निगल न जाये कोई,

रंग तो देखे ज़माने में पर दिल को भाया न कोई,
पर रंगों भरी रागिनी देखके फिसल न जाए कोई।।

राही अंजाना

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