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टीस

सवाल और गम के थपेडों के बीच
पिसकर रह गये मेरे रूह और जिस्म
समझने की कोशिश में, समझते- समझते
सारी ख्वाहिश स्वाहा, बस मन में अवशेष है टीस

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