******** ठंड********
ठंडी का मौसम था और चीनू की बीमार माॅ मुंबई जाने वाली थी दवा कराने के लिए चीनू बडे सुबह ही उठ कर घर का सारा काम निपटा कर नहा कर पतले कपडे डाल लेता है ।धुप अच्छी निकली रहती है वह पतले कपडे पहने ही अपने माँ को बस स्टेशन छोडने के लिए जौनपुर बस डिपो गया ।
वहा चीनू अपने माँ का हाल देखकर अपने माँ को वाराणसी स्टेशन से ट्रेन पकडाने का निर्णय कर निकल जाता है। और वहा पहुंच कर अपने माँ को ट्रेन पर बैठाकर वापस जौनपुर के लिए रवाना होता है तो शाम हो जाता है । और ठंडी भी बढ गया था चीनू बस मे पीछे की तरफ जाकर एक सीट पर बैठ जाता है सिकुड कर इसी आश मे शायद पीछे ठंडी कम लगे लेकिन ठंड बढ जाने के कारण चीनू की हालत पतली हो गई थी ।बस वाराणसी से जौनपुर के लिए रवाना होता है ठंडी हवाओ को चीरती हुई आगे बढती है बस और ठंडी हवा बस मे आने लगती है और चीनू ठंड से कापने लगता है।
तभी बगल वाली सीट पर एक दम्पति आते है और चीनू को उस हाल मे देखकर पुछ ही लेते है कहा तक जाना है चीनू कापते हुए बोलता है चाचा जौनपुर जाना है तभी उनकी पत्नी चीनू के पास वाली सीट पर बैठ कर चीनू को अपने कम्बल से ढक लेती है और बाते करती हुई रास्ते भर आती है ।चीनू को भी काफी आराम महसूस होता है और वह उस औरत से ऐसे चिपका था जैसी वह अपने माँ से चिपका हो ।चीनू को समझ मे नही आ रहा था कि वह उनका कैसे सुक्रिया अदा करे ।
महेश गुप्ता जौनपुरी
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