उधर किसी की हसरतें पुरी हुई
इधर किसी का दिल जला
क्या कहे दोस्त सब की
अपनी अपनी तक़दीर है
अचानक एक दिन उनका ख़त आया
उस में एक ही पंक्ति लिखा था
ए क़ाबिल दिल तकदीर के संग
तदबीर होना भी जरुरी है
मेरा उदास मन फिर
अतीत की लहरों में खो गई।
उधर किसी की हसरतें पुरी हुई
इधर किसी का दिल जला
क्या कहे दोस्त सब की
अपनी अपनी तक़दीर है
अचानक एक दिन उनका ख़त आया
उस में एक ही पंक्ति लिखा था
ए क़ाबिल दिल तकदीर के संग
तदबीर होना भी जरुरी है
मेरा उदास मन फिर
अतीत की लहरों में खो गई।