छिपाकर किताबों में कोई मेरी तस्वीर भूल गया,
दबाकर पन्नों में जैसे कोई मेरी तकदीर भूल गया,
बैठा रहा मैं यूँही किसी पैदल सा गुलाम बनकर,
के बिसात पर चलने की मेरी तदबीर भूल गया।।
राही अंजाना
छिपाकर किताबों में कोई मेरी तस्वीर भूल गया,
दबाकर पन्नों में जैसे कोई मेरी तकदीर भूल गया,
बैठा रहा मैं यूँही किसी पैदल सा गुलाम बनकर,
के बिसात पर चलने की मेरी तदबीर भूल गया।।
राही अंजाना