महफ़िलों से डर लगने लगा,
तन्हाई हमें रास आने लगी
दोस्तों में हमें ऐ ख़ुदा,
दुश्मनी की बांस आने लगी
समझा था जिसे अपना हमसफ़र,
उसी ने बदल दी है अपनी डग़र
दो राहे पे हमें छोड़कर,
चल दिये वो मुंह मोड़कर
आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी
दोस्तों में हमें ऐ ख़ुदा दुश्मनी की बांस आने लगी
सपने मिट गए, अरमां लुट गए,
भरे बाज़ार में हम तो लुट-पिट गए
जब लुट गए तब लगी थी ख़बर,
हमीं को हमारी लगी थी नज़र
जुबां चुप थी, आंखें मग़र सब राज़ कहने लगी
दोस्तों में हमें ऐ ख़ुदा ……