तलब ऐसी उठी दिल से…..
की उन्हीं के तलबगार हो गए….
जमाने की जुबां पर ….
किस्से हमारी मुलाकातों के बार – बार हो गए….
पता कर चुके थे , हैँ उनकी तरकश में इक तीर – ए – मोहब्त …..
और उसी तीर के हम शिकार हो गए….
तलब – चाह
तलबगार -चाहने वाला
तलब ऐसी उठी दिल से…..
की उन्हीं के तलबगार हो गए….
जमाने की जुबां पर ….
किस्से हमारी मुलाकातों के बार – बार हो गए….
पता कर चुके थे , हैँ उनकी तरकश में इक तीर – ए – मोहब्त …..
और उसी तीर के हम शिकार हो गए….
तलब – चाह
तलबगार -चाहने वाला