तितलियाँ राही अंजाना 5 years ago हाथों की लकीरें तितलियाँ बन उड़ीं, जब जी चाहा उनका जिधर तन उड़ीं, बंद मुट्ठी में बड़ा दम घुटता था कहकर, रंग हाथों में छोड़ वो सुनहरा ठन उड़ीं।। राही अंजाना