ना बिलखे भूख से ना कोई बच्चा नंगा रहे
ना हो आतंक के साये ना कहीं कोई दंगा रहे
मेरे भारत में चहुँ ओर बस प्रेम की गंगा बहे
“आदि” का हो अन्त तब उसका कफ़न तिरंगा रहे
जय हिन्द ! जय भारत !
ऋषभ जैन “आदि”
ना बिलखे भूख से ना कोई बच्चा नंगा रहे
ना हो आतंक के साये ना कहीं कोई दंगा रहे
मेरे भारत में चहुँ ओर बस प्रेम की गंगा बहे
“आदि” का हो अन्त तब उसका कफ़न तिरंगा रहे
जय हिन्द ! जय भारत !
ऋषभ जैन “आदि”