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तीसरी मुलाक़ात

तीसरी मुलाक़ात
दूजी मुलाक़ात जब से हुई
जज्बातों में चिंगारी सुलग रही,
बाट बेसब्री से जिसकी जोह रहे
घड़ी आखिर वो आ ही गई।।

वक़्त से पहले हम पहुंचे
वो भी वक़्त पर आ गए,
फूल गुलाब का हम लिए
खुशबू वो भी महका रहे।।

मुस्कान और गुलदस्तों के तो
दिखावे को आदान – प्रदान हुए,
हकीकत में आज एक – दूजे का
दिल हम दोनों चुरा लिए।।

बातें चंद फिर भी आज
2 घंटे की मुलाक़ात हुई,,
एक दूजे को समझने की
यहीं से बस शुरुवात हुई।।

आगे ना अब गिनती होगी
इस कहानी में मुलाकातों की,
दो दिलों में प्रेम की बातें
कुछ यूं सिलसिलेवार हुई।।

कहानी बन गई आज प्रेम कहानी
और खत्म ये तीसरी मुलाक़ात हुई।।
AK

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