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तुमने मेरे बाग़ के फूलों को

तुमने मेरे बाग़ के फूलों को पत्थर कर दिया,
मैं तेरी गली के पत्थरों को फूल करके आया हूँ
जाना मुझे तेरी गली ,आना तुझे मेरे बाग़ों में
इस आने जाने को कितना माकूल करके आया हूँ
राजेश’अरमान’

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